東大スキー部の🏡
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VIPQ2_EXTDAT: none:none:1000:512:: EXT was configured नीलकण्ठ धारणी
नमो रत्नत्रयाय। नम आर्यावलोकितेश्वराय बोधिसत्त्वाय महासत्त्वाय महाकारुणिकाय। ॐ सर्वभयशोधनाय तस्य नमस्कृत्वा इमु आर्यावलोकितेश्वर तव नमो
नीलकण्ठ। हृदयंमहा वर्तयिष्यामि सर्वार्थधं शुभम् अजेयं सर्वसत्त्वानां मार्गविशोधकम्। तद्यथा ॐ अवलोके लोकातिक्रान्त। एहि महाबोधिसत्त्व सर्प सर्प स्मर
स्मर मक मक हृदयम्। कुरु कुरु कर्म। धुरु धुरु विजयते महाविजयते। धर धर धारणीश्वराय चल चल मम विमलामूर्त्ते। एहि एहि। चिन्द चिन्द। अरस्प्रचलि। वशवशम् प्रनाशय। हुलु हुलु स्मर हुलु हुलु। हृदयं सर सर सिरि सिरि सुरु सुरु। बोधिय बोधिय बोधय बोधय। मैत्रिय नीलकण्ठ दर्शनानाम्। हयमान
स्वाहा। सिद्धाय स्वाहा। महासिद्धाय स्वाहा। सिद्धयोगीश्वराय स्वाहा। नीलकण्ठ स्वाहा। वरानर स्वाहा। सिंहसंमुखाय स्वाहा। सर्वमहासद्धाय स्वाहा। चक्रहस्ताय
स्वाहा। पद्महस्ताय स्वाहा। नीलकण्ठपान्दराय स्वाहा। महालि शन्कराय स्वाहा। नमो रत्नत्रयाय। नम आर्यावलोकितेश्वराय बोधिसत्त्वाय
स्वाहा। सिद्ध्यन्तु मन्त्रपदाय स्वाहा॥ ■ このスレッドは過去ログ倉庫に格納されています